Last modified on 20 नवम्बर 2009, at 22:02

समुद्र / रामधारी सिंह "दिनकर"

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:02, 20 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=नये सुभाषित / रामधा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चूर्ण तरंगों से शोभित जब सागर लहराता है,
लगता है, मानों, अम्बर का दर्पण टूट गया हो।