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श्रम / रामधारी सिंह "दिनकर"

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(१)
स्वर्ग की सुख-शान्ति है आराम में,
किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में।

(२)
सुख क्या है, पूछ श्रम-निरत किसान से;
पूछता है बात क्या तू बाबू-बबुआन से?