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यती / रामधारी सिंह "दिनकर"

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जहाँ-जहाँ है फूल, वहाँ क्या साँप है?
जहाँ-जहाँ है रूप, वहाँ क्या पाप है?
शूलों में क्या है कि प्रेम से चुनते हो?
पर, फूलों को देख शीश क्यों धुनते हो?