Last modified on 20 नवम्बर 2009, at 22:43

आँसू / रामधारी सिंह "दिनकर"

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:43, 20 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=नये सुभाषित / रामधा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खिड़की के शीशे पर कोई बूँद पड़ी है;
अर्द्धरात्रि में यह आँसू किसका टपका है?
देख न सकता तुम्हें, किन्तु, ओ रोनेवाले!
रजनी हो दीर्घायु भले, पर, अमर नहीं है।
अरुण-बिन्दु-धारिणी उषा आती ही होगी।