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आलोचक / रामधारी सिंह "दिनकर"

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(१)
रचना में क्या-क्या गुण होने चाहिए,
कूद-फाँदकर भी तुम नहीं बताते हो।
पर, रचना के दुर्गुण अपनी ही कृति में
कदम-कदम पर खूब दिखाये जाते हो।

(२)
मैं अगर कुछ बोलता हूँ,
तुम उसे अपराध क्यों कहते?
मक्खियाँ जब बैठती हैं,
सिंह भी रोयें हिलाता है।