Last modified on 23 नवम्बर 2009, at 03:22

विदागीत / अशोक वाजपेयी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:22, 23 नवम्बर 2009 का अवतरण (विदा गीत / अशोक वाजपेयी का नाम बदलकर विदागीत / अशोक वाजपेयी कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भागते हैं,
छूटते ही जा रहे हैं पेड़
पीपल-बैर-बरगद-आम के,
बिछुड़ती पग-लोटती घासें,
खिसकती ही जा रही हैं
रेत परिचय की अनुक्षण,
दूरियों की खुल रही हैं मुट्ठियाँ!
फिर किसी आवर्त्त में बंध
कभी आऊँगा यहाँ
रेत जाने किन तहों तक धँसेगी
परिचय न चमकेगा कभी भी
चुप रहेंगे पेड़-धरती घास सब...
तब मुझे पहचान
छोड़ता हूँ आज जिसको
टेरेगा सहसा क्या
विदा का बूढ़ा-सा पाखी?


रचनाकाल : 1957