Last modified on 25 नवम्बर 2009, at 08:04

खबर / लाल्टू

Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:04, 25 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }} <poem>जाड़े की शाम कमरा ठंडा ठ न् …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जाड़े की शाम
कमरा ठंडा ठ न् डा
इस वक्त यही खबर है

- हालाँकि समाचार का टाइम हो गया है

कुछेक खबरें पढ़ी जा चुकी हैं

और नीली आँखों वाली ऐश्वर्य का ब्रेक हुआ है
है खबर अँधेरे की भी

काँच के पार जो और भी ठंडा

थोड़ी देर पहले अँधेरे से लौटा हूँ

डर के साथ छोड़ आया उसे दरवाजे पर
यहाँ खबर प्रकाश की जिसमें शून्य है

जिसमें हैं चिंताएं, आकांक्षाएँ, अपेक्षाएँ

अकेलेपन का कायर सुख
और बेचैनी……..

……..इसी वक्त प्यार की खबर सुनने की

सुनने की खबर साँस, प्यास और आस की
कितनी देर से हम अपनी

खबर सुनने को बेचैन हैं।