Last modified on 26 नवम्बर 2009, at 02:01

दृश्ययुग-2 / केदारनाथ सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:01, 26 नवम्बर 2009 का अवतरण ("दृश्ययुग-2 / केदारनाथ सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उसे देखकर
कहना भूल गया
एक बात थी
जो तभी भूल गई थी
जब चला था घर से
और फिर कई दिनों तक याद रहा
वही एक भूलना
जो बाद में पता चला एक चेहरा था
जो न जाने कब
देखने के जल में
चुपचाप घुल गया
और बचा रहा देखना
जिसमें मिलना
छूना
सूँघना
चाहना
सब घुलते गए धीरे-धीरे।