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बरखा रानी / कैलाश गौतम

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चाल सुधारा चाल सुधारा
बरखा रानी चाल सुधारा

कब्बौ झूरा कब्बौ बाढ़
केसे केसे लेईं राढ़
खेतवन से बस दुआ बंदगी
खरिहनवन से भाई चारा॥

सोच समझ के पाठ पढ़ावा
पानी में जिन आग लगावा
कब तक रहबू आसमान पर
तू निचवों तनी निहारा॥

अब जिन बरा धूर में जेंवर<ref>धूल में रस्सी बटना</ref>
सब बूझत हौ ई खर-सेवर<ref>भोजन के समय में व्यतिक्रम</ref>
कवने करनी गया ब‍इठबू
पहिले कुल क पुरखा तारा॥

कब तक अपने मन क करबू
हमरे छाती कोदो दरबू
ताले ताले धूर उड़त हौ
कागज पर तू खना इनारा<ref>कुआँ</ref>॥

दिनवा रतिया रटै पपीहा
उल्लू भ‍इलै आज मसीहा
कौवा भंजा रहल है मोती
मुँह जोहत है हंस बेचारा॥

फगुन च‍इत में पानी पानी
सावन-भादों में बेइमानी
जेही क कुल छाजन-बाजन
वहिके पतरी खंडा बारा।

शब्दार्थ
<references/>