Last modified on 12 दिसम्बर 2009, at 13:25

अयोध्या-3 / सुधीर सक्सेना

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:25, 12 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> राम सरयू पर म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राम सरयू पर मुग्ध
सरयू राम पर निसार
सरयू ने पखारे राम के पाँव
राम की रगों में बही सरयू
राम ने किया कभी पिता, तो कभी माँ, तो कभी सिया
तो कभी भरत-लक्ष्मण और वानर-यूथों के समक्ष
सरयू का बखान

सरयू से राम के शरीर में ओज
राम के स्पर्श से सरयू का जल पवित्र
सरयू से राम और राम से सरयू का सदियों का राग

इधर बरसों से सरयू का मन उदास
कि बरसों से इधर मुँह-अन्धेरे नहाने नहीं आए
सरयू में राम

अपने ही तटों से पूछती है
व्यथित-व्याकुल सरयू :
आख़िर कहाँ चले गए अयोध्या से
रघुपति राघव राजा राम ?