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खाद पानी मिट्टी / चंद्र रेखा ढडवाल

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खिले हुए सुन्दर फूलों की मिल्कियत
दंभ उसका
पीले कमज़ोर
तो पराजित
मुँह चुराते नाराज़
रंग गंध के मेलों का
सिरजनहारा
पालक
दृष्टा
पुरुष

और दोनों ही के लिए
खाद -पानी हो
मिट्टी होती
खिलने में खिलती कम
मुर्झाने में मुर्झाती
ज़्यादा
औरत.