दो चट्टानें
रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
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प्रकाशक | राजपाल प्रकाशन |
वर्ष | जनवरी 1' 2009 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | 175 |
ISBN | |
विविध | इस कविता-सग्रंह पर बच्चन जी को देश का सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक पुरस्कार 'साहित्य अकादमी' मिला था। |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- सूर समर करनी करहिं / हरिवंशराय बच्चन
- बहुरि बंदि खलगन सति भाएँ... / हरिवंशराय बच्चन
- उघरहिं अन्त न होइ निबाहू / हरिवंशराय बच्चन
- विभाजितों के प्रति / हरिवंशराय बच्चन
- २६-१-’६३ / हरिवंशराय बच्चन
- मूल्य चुकाने वाला / हरिवंशराय बच्चन
- २७ मई / हरिवंशराय बच्चन
- गुलाब की पुकार / हरिवंशराय बच्चन
- द्वीप-लोप / हरिवंशराय बच्चन
- गुलाब, कबूतर और बच्चा / हरिवंशराय बच्चन
- दो फूल / हरिवंशराय बच्चन
- कील-काँटों में फूल / हरिवंशराय बच्चन
- विक्रमादित्य का सिंहासन / हरिवंशराय बच्चन
- खून के छापे / हरिवंशराय बच्चन
- भोलेपन की कीमत / हरिवंशराय बच्चन
- गाँधी / हरिवंशराय बच्चन
- युग-पंक : युग-ताप / हरिवंशराय बच्चन
- बाढ़-पीड़ितों के शिविर में / हरिवंशराय बच्चन
- युग और युग / हरिवंशराय बच्चन
- लेखनी का इशारा / हरिवंशराय बच्चन
- कुकडूँ-कूँ / हरिवंशराय बच्चन
- सुबह की बाँग / हरिवंशराय बच्चन
- गत्यवरोध / हरिवंशराय बच्चन
- गैंडे की गवेषणा / हरिवंशराय बच्चन
- श्रृगालासन / हरिवंशराय बच्चन
- सृजन और साँचा / हरिवंशराय बच्चन
- मेरे जीवन का सबसे बड़ा काम / हरिवंशराय बच्चन
- आधुनिक निंदक / हरिवंशराय बच्चन
- कवि से, केचुआ / हरिवंशराय बच्चन
- क्रुद्ध युवा बनाम क्रुद्ध वृद्ध / हरिवंशराय बच्चन
- काठ का आदमी / हरिवंशराय बच्चन
- माँस का फर्नीचर / हरिवंशराय बच्चन
- भुस की गठरी और हरी घास का आँगन / हरिवंशराय बच्चन
- घर उठाने का बखेड़ा / हरिवंशराय बच्चन
- दयनीयता : संघर्ष : ईर्ष्या / हरिवंशराय बच्चन
- दिए की माँग / हरिवंशराय बच्चन
- ऐसा क्यों करता हूँ / हरिवंशराय बच्चन
- शिवपूजन सहाय के देहावसन पर / हरिवंशराय बच्चन
- ड्राइंग रूम में मरता हुआ गुलाब / हरिवंशराय बच्चन
- दो रातें / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन-परीक्षा / हरिवंशराय बच्चन
- आभास / हरिवंशराय बच्चन
- एक फिकर–एक डर / हरिवंशराय बच्चन
- माली की साँझ / हरिवंशराय बच्चन
- दो युगों में / हरिवंशराय बच्चन
- दो बजनिए / हरिवंशराय बच्चन
- भिगाए जा, रे... / हरिवंशराय बच्चन
- मुक्ति के लिए विद्रोह / हरिवंशराय बच्चन
- सार्त्र के नोबल-पुरस्कार ठुकरा देने पर / हरिवंशराय बच्चन
- धरती की सुगंध / हरिवंशराय बच्चन
- शब्द-शर / हरिवंशराय बच्चन
- नया-पुराना / हरिवंशराय बच्चन
- दो चट्टानें (कविता) / हरिवंशराय बच्चन