Last modified on 29 दिसम्बर 2009, at 22:33

सदस्य:KRaj

KRaj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:33, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण

हलात के कदमो मे कलन्दर नहीँ गिरता, गर टूटे तारा तो जमी पर नहीँ गिरता। बडे शौक से गिरते हैँ समन्दर मेँ दरिया, पर किसी दरिया मेँ समन्दर नहीँ गिरता।