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खाली प्रेम / रंजना जायसवाल

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सज-सँवर कर
तस्वीर में
बैठने के लिए नहीं है स्त्री

वह छटपटाती है
और बाहर निकल जाती है

मुँह ताकता रह जाता है
खाली फ़्रेम