Last modified on 24 जनवरी 2010, at 00:00

ज़ंजीरें / रंजना जायसवाल

पूजा जैन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:00, 24 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

स्त्री
काट रही है
ज़ंजीरें
थोड़ी-थोड़ी रोज़

और...
तड़प रही है
कट गई

ज़ंजीरों की
स्मृति में...।