Last modified on 3 फ़रवरी 2010, at 01:26

आशी: / त्रिलोचन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:26, 3 फ़रवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पृथ्वी से
दूब की कलाएं लो
चार

उषा से
हल्दिया तिलक
लो

और
अपने हाथों में
अक्षत लो

पृथ्वी आकाश
जहाँ कहीं
तुम्हें जाना हो
बढ़ो
बढ़ो