उसके चेहरे में बसी है
एक पीड़ा, वह हँसती है तो
वह और उभर आती है.
कितना कम जानता हूँ
उसे,
नहीं, नहीं चेहरे को नहीं,
उस पीड़ा को
जो मेरी भी है.
उसके चेहरे में बसी है
एक पीड़ा, वह हँसती है तो
वह और उभर आती है.
कितना कम जानता हूँ
उसे,
नहीं, नहीं चेहरे को नहीं,
उस पीड़ा को
जो मेरी भी है.