Last modified on 16 फ़रवरी 2010, at 21:58

ठूँठ खड़ा है / कात्यायनी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:58, 16 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कात्यायनी |संग्रह=फुटपाथ पर कुर्सी / कात्यायनी }…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

असम्पृक्त, एकाकी, अड़ियल
तना खड़ा है ठूँठ।
किसी ऊँट के कूबड़ जैसा
गुट्ठल-भोंथर।
जैसे कोई जीवन
सूखा-निर्मम-थेंथर।
धरती में धँस गई
कटारी जैसे कोई,
लेकिन ऊपर
अड़ी हुई है मूँठ।

रचनाकाल : जनवरी-अप्रैल, 2003