लिख गया नारे कोई दीवार पर
भीड़ ने पत्थर चलाए कार पर
बस दुआ कीजे दवाओं का असर
अब न हीं होता किसी बीमार पर
देश को गूँगा बनाया जाएगा
फिर वही आरोप क्यों सरकार पर
चुक गए बूढ़े दरख़्तों ने कहा
बस नहीं चलता नदी की धार पर
लोग सब बौने नज़र आए उसे
जो भी जा बैठा कुतुबमीनार पर