रचनाकार: ?? |
काली घटा छाई, हो राजा! काली घटा छाई।
शीशे की पालकी में तेरी लाल परी आई।।
दो दिन की ज़िन्दगानी है जी भर के पिए जा
तौबा के साथ-साथ इसे ख़त्म किए जा।।
मैं भर के जाम लाई, हो राजा! काली घटा छाई।।
अब आके चला जाएगा रिमझिम का ज़माना।
हो ना जाए कहीं ख़त्म साँसों का ख़जाना।।
है ज़िन्दगी हरजाई, हो राजा! काली घटा छाई।।