बिस्तरबंद कसते तुम्हारे हाथ
मुट्ठी में जकड़ी शर्ट
आग में तपता तुम्हारा चेहरा
तपन को अन्दर समेटती मैं
तुम्हारी ढीली मुस्कान
मेरी कसी निगाहें
भागती बस
शीशे से झाँकती मैं।
बिस्तरबंद कसते तुम्हारे हाथ
मुट्ठी में जकड़ी शर्ट
आग में तपता तुम्हारा चेहरा
तपन को अन्दर समेटती मैं
तुम्हारी ढीली मुस्कान
मेरी कसी निगाहें
भागती बस
शीशे से झाँकती मैं।