Last modified on 6 मार्च 2010, at 09:01

नयी बात नहीं है / शांति सुमन

Amitprabhakar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:01, 6 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शांति सुमन |संग्रह = सूखती नहीं वह नदी / शांति सुम…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


शव किसी युवती का है
इसलिये भीड़ है देखने वालों की
उठानेवालों की नहीं
एक दूसरे का मामला बताकर
गाँव और रेलपुलिस का टालमटोल
कोई नई बात नहीं
जहाँ वह मिली है गटर में
वहाँ सैकड़ों किस्सों के सैंकड़ो मुँह
लिखी है जाने कितनी कहानियाँ
उसके सिरहाने पैताने
उसकी आत्मा में ईश्वर नहीं था
या उसकी आत्मा तक नहीं गया ईश्वर
वह सिर्फ़ देह थी, देह के साथ रही
देह लेकर मर गई
मनुष्य होने की आदिम परिभाषा
पर भी पत्थर रख गई ।

५ जून, १९९३