Last modified on 12 मार्च 2010, at 03:44

भारत-भारती / बोधिसत्व

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:44, 12 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बोधिसत्व |संग्रह=ख़त्म नही होती बात / बोधिसत्व }} …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उधड़ी पुरानी चटाई और एक
टाट बिछाकर,
छोटे बच्चे को
औधें मुँह भूमि पर लिटा कर।
 
मटमैले फटे आँचल को
उस पर फैला कर
खाली कटोरे सा पिचका पेट
दिखा कर।
 
मरियल कलुष मुख को कुछ और मलिन
बना कर
माँगने की कोशिश में बार-बार
रिरिया कर।
 
फटकार के साथ कुछ न कुछ
पाकर
बरबस दाँत चियारती है
फिर धरती में मुँह छिपाकर पड़े बच्चे को
आरत निहारती है ।
 
यह किस का भरत है
किस का भारत
और किस की यह भारती है।