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पायदान / नीलम माणगावे

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-तूने कभी गोबर में हाथ डाला है?
-नहीं।
-कभी ढोरों को हाँका है?
-नहीं।
-फिर कैसे कहती हो कि
तुम और मैं एक समान?
तेरी पावडर, तेरी लाली,
बालों का कट, माथे की लट,
तेरा झगा, पैसों का पाकिट
गले का लाकिट,
मेरे पास क्या है?
फूटे काले मनियों की लड़ी,
और कूल्हे पे फटी साडी
और कहती है तू
कि तू और मैं एक समान....

-सच कहती हो....
मैं बोली-
अब मुझे बताओ,
तुम्हारा मरद तुम्हें शराब पिलाता है?
-पेशाब पिलाऊँगी उस माटीमिले को!
-कभी दूसरे मर्दों के संग
ज़बरदस्ती भेज देता है ?
-मुर्दा गाड़ दूँगी उस मुए का!
-तेरी सास...
घासलेट डालकर जलाती है?
-चूल्हे में घुसेड दूँगी कलमुँही को!....

-देखो, कैसे बोल रही हो,
जैसे बन्दूक से
गोली चला रही हो

-और मैं,
सब सह लेती हूँ
पावडर के नीचे छुपा देती हूँ!

-थू तेरी!
पिच्च से थूक कर,
वो खड़ी रही
उपरी पायदान पर

मैंने,
मुँह पोंछ लिया रुमाल से
हँस पड़ी
रो न पाने के ख़याल से


मूल मराठी से अनुवाद : स्वाती ठकार