Last modified on 15 मार्च 2010, at 08:28

सदस्य:Kavyana

Kavyana (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:28, 15 मार्च 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे मन की व्यथा कथा है ये मेरा कविता का जग कथा व्यर्थ है व्यथा मर्त्य है सनातन ये दुनिया ये जग (१)

मखमली सी ज़मी धरती की आस्मां का नीला ये बदन स्थान कहाँ है व्यथा कथा का मुखरित हो सारा जीवन