जब वृक्ष नंगे हों
उनकी सारी पत्तियाँ झर चुकी हों
हम कितना भयभीत होते हैं
और अपनी दिगम्बरता को
ढँकते हैं इतनी सारी
वनस्पतियों से
हममें जो दिगम्बर हैं
वह कोसों नीचे गहरे
दबा रहता है
दफ़न और
भुलाया हुआ।
जब वृक्ष नंगे हों
उनकी सारी पत्तियाँ झर चुकी हों
हम कितना भयभीत होते हैं
और अपनी दिगम्बरता को
ढँकते हैं इतनी सारी
वनस्पतियों से
हममें जो दिगम्बर हैं
वह कोसों नीचे गहरे
दबा रहता है
दफ़न और
भुलाया हुआ।