Last modified on 23 मार्च 2010, at 00:20

आखिरी ख्वाहिश / हरभजन सिंह

Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:20, 23 मार्च 2010 का अवतरण (Sandeep Sethi (वार्ता) के अवतरण 76686 को पूर्ववत किया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आखिरी ख्‍वाहिश बस इतनी है
मेरे मरने की खबर
तुम खुद उस दोस्‍त तक पहुंचाना
जिससे तुम बरसों से रूठे हुए हो।
तुम्‍हारी दस्‍तक सुनकर दरवाजा
फटाक से न खुले
तो वापस न चले आना,
दरवाजा खुलने का इंतजार करना।
वह यदि तुम्‍हें देखकर
दरवाजे पर खड़ा हो जाए
बुत की तरह
तो भी वापस न आना,
बोलने की कोशिश करना।
अगर मेरी बात न कही जा सके तुमसे
तो सिर्फ मेरा नाम लेकर
उसके गले लग जाना,
आंसू बह जाएं तो बहने देना,
बाकी वह खुद समझ जाएगा।
उसको मालूम है,
इस तरह की ख्‍वाहिश
केवल मैं ही कर सकता हूं।