Last modified on 5 अप्रैल 2010, at 20:44

पहचान / तसलीमा नसरीन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:44, 5 अप्रैल 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: तसलीमा नसरीन  » पहचान

उसे मैं जितना पुरुष समझती थी
उतना वह है नहीं,
आधा नपुंसक है वह
आधा पुरुष।

जीवन बीत जाता है
आदमी के साथ सोते-बैठते
कितना जान पाते हैं आदमी की असलियत?
इतने दिनों से जैसा सोचा था
ठीक-ठीक जितना समझा था
वैसा वह कुछ भी नहीं,
दर‍असल जिसे पहचानती हूँ सबसे ज़्यादा
उसे ही बिल्कुल नहीं जानती।

जितना मैं उसे समझती थी इन्सान
उतना नहीं है वह
आधा जानवर है वह
आहा आदमी।


मूल बांग्ला से अनुवाद : मुनमुन सरकार