Last modified on 18 अप्रैल 2010, at 20:26

चंद्र मानव / लेस मरे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:26, 18 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लेस मरे |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> अधजमे दही की तरह छलम…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अधजमे दही की तरह छलमल
आकाश के नीचे, शादी से लौटते हुए
ऊपरी बाड़े में जब हमने गाड़ी मोड़ी
छाया के कंगारू भाग निकले

तब जाकर साफ़-साफ़ दीखा
चेहरा उस चंद्रमानव का
जो अब तक करता है तेल-मालिश अपनी माँ की
और उसे भेजता है रोशनी
कि उसने उसको हाथ-पाँवों से सलामत,
ठीक डील-डौल के साथ किया पैदा!

उसकी चमक हमारे ख़ून में है।
धरती अगर स्वस्थ हो चुकती पूरी
उस प्रसव के बाद
पैदा नहीं होता कुछ छोटा!


अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनामिका