देश के कोमल हृदय कुमार,
सरल सहृदयता के अवतार।
तुम्हीं हो ऋषियों की संतान;
आर्य जन जीवन, धन अरु प्रान।
भारती गुण गौरव अभिमान,
कीजिए मातृभूमि उद्धार।
देश के कोमल हृदय कुमार।।1।।
प्रबल पुनि सज्जनता के सद्म,
प्रेम पद्माकर के प्रिय पद्म,
सदय सुंदर सब भाँति अछद्म,
कीजिए नवजीवन संचार।
देश के कोमल हृदय कुमार।।2।।
सभ्यता के शुचि आदि स्वरूप,
मनोरंजन प्रतिभा के भूप,
विमल मति पावन परम अनूप,
कीजिए भातृप्रेम विस्तार।
देश के कोमल-हृदय कुमार।।3।।
लीजिए ब्रह्मचर्य का नेम,
पालियै अखिल विश्व का प्रेम,
परस्पर होवें जिससे क्षेम,
कीजिए हिन्दी सत्य प्रचार।
देश के कोमल-हृदय कुमार।।4।।
रचनाकाल : 1905