Last modified on 30 अप्रैल 2010, at 16:19

पुकार / एकांत श्रीवास्तव

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:19, 30 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: बरसों से एक पुकार<br /> मेरा पीछा कर रही है<br /> एक महीन और मार्मिक पुका…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बरसों से एक पुकार
मेरा पीछा कर रही है
एक महीन और मार्मिक पुकार
इस महानगर में भी
मैं इसे साफ-साफ सुन सकता हूं.

आज जब यह पहली बारिश के बाद
धरती की सोंधी सुगंध की तरह
हर तरु से उठ रही है
मैं एकदम बेचैन और अवश
हो गया हूं इसके सामने

क्‍या यह जड़ों की पुकार है
फुनगियों के लिए?
क्‍या यह डूबते दिन की पुकार है
पखेरूओं के लिए?

यह उस रास्‍ते की पुकार हो सकती है
जिसे अभी लौटने को कहकर
मैं छोड़ आया हूं

यह पहाड़ों में भटकती कंदील की पुकार होगी

यह मां की पुकार होगी
मैं बरसों से घर नहीं लौटा.