Last modified on 1 मई 2010, at 14:39

पानी / एकांत श्रीवास्तव

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:39, 1 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |संग्रह=अन्न हैं मेरे शब्द / ए…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह एक आईना है

सबसे पहले
सूर्य देखता है
इसमें अपना चेहरा

फिर पेड़ झांकते हैं
और एक चिडिया चोंच मारकर
इसे उड़ेलती है
अपने कंठ में

मैं इसमें देख सकता हूं
अपना चेहरा
और पिछले कई दिनों की
उदासी के बाद
मुसकुरा सकता हूं

यह
दुनिया की हर उदास चीज को
देता है अपनी चमक

पानी जब हंसता है
समय एक कमल की तरह लगता है
सुन्‍दर और ताजा

पानी जब क्रोध में हिलता है
वह एक निर्णायक तारीख होती है

यह
पृथ्‍वी की आंख में भरा है
उसके सपनों को
हरा रखने के लिए.