Last modified on 2 मई 2010, at 01:57

तपन / नन्दल हितैषी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:57, 2 मई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कछार के / इस टीले के नीचे
बबूल के कुछ ठूँठ ......
आक्रोश में
तमतमाया सूरज.
बेवाई
पाँव में नहीं
सिर में फट रही है.
नागफनी की परछाई भी
एक गौरैय्ये को
भली लग रही है.
जिसकी छाँव में
काँटॆ ही काँटॆ?