Last modified on 3 मई 2010, at 12:46

मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 10 / नवीन सागर

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:46, 3 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन सागर |संग्रह=नींद से लम्‍बी रात / नवीन सागर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आता दिखता है वह
आता नहीं है

मैं उसका आना पहचानता हूं
उसे नहीं
वह कोई नहीं है
इस धरती पर और इस आकाश में वह
कुछ नहीं है
उसके आने के दृश्‍य में
नहीं है कोई दृश्‍य

मैं हूं इसलिए
मैं देखता हूं
दूर उसका आना
वह आता नहीं है.