Last modified on 4 मई 2010, at 23:09

घेरा / नवीन सागर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:09, 4 मई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहली वारदात
हज़ारों मील दूर कहीं होती है
और दूसरी पड़ोसी राज्‍य में
इसके बाद
पास के शहरों से ख़बरें आती हैं
एक दिन शहर में
फैलती है सनसनी
और तनाव के बाद हँसी डरी हुई
दिखती है अपनी खिड़की के पास।

फिर एक वारदात से
घण्‍टा भर पहले वहाँ थे हम
यह सुनाते हुए रोमांच होता है
फटा-फूटा हुआ.
कहीं से वारदात के बाद
गुज़रते हुए
खिड़कियों से झाँकते मुँह बाए
देखते हैं जगह
और लोगों की उदासी।

फिर एक दिन बहुत पास
हड़बड़ी में भागते हुए दिखते हैं
झपटती मृत्‍यु से
बहुत कम फासले पर।

हम सुनाते हैं हाँफते हुए
दरवाज़े बंद करते
बच्‍चे दीवारों में ज़ोर-ज़ोर से
रोते हैं अकस्‍मात्!