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कवि से विदाई / अनातोली परपरा

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विदा, तुम्हें विदा
दोस्त सोमदत्त, विदा
हिमाद्री तुंग शृंग के पार से विदा

याद है मुझे तुम्हारी वह कविता
जिसमें तुमने शान्ति का संदेश था दिया
क्रागुएवात्स में नन्हें बच्चों की हत्या पर
तुमने शोकम्लान हो रुदन था किया

याद हमें रहोगे तुम सदा-सर्वदा
विदा तुम्हें विदा, सोमदत्त तुम्हें विदा

दुनिया भर की जनता को परस्पर जोड़कर
कहाँ गए अचानक तुम हमें यूँ छोड़कर
कविता में जलेगा तुम्हारे नाम का दिया
इस रूसी कवि का आज उदास है हिया

बह रही आँखों से मेरी आज नर्मदा
विदा, तुम्हें विदा, कवि सोमदत्त विदा


रचनाकाल : 1989