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आंखें / मुकेश मानस

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। कविता संग्रह=पतंग और चरखड़ी

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आंखें


तेरी आंखें चंदा जैसी
मेरी आंखें काली रात

तेरी आंखों में हैं फूल
मेरी आंखों में सब धूल

तेरी आंखें दुनिया देखें
मेरी आंखें घूरा नापें

तेरी आंखें है हरषाई
मेरी आंखें हैं पथराई

तेरी आंखें पुन्य जमीन
मेरी आंखें नीच कमीन

तेरी आंखें वेद पुरान
मेरी आंखें शापित जान

तेरी आंखें तेरा जाप
मेरी आंखें मेरा पाप

तेरी आंखें पुण्य प्रसूत
मेरी आंखें बड़ी अछूत
1997