Last modified on 16 मई 2010, at 20:41

वे उसकी इज़्ज़त करते हैं / रघुवीर सहाय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:41, 16 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय |संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुव…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह बैठा है सुखी आदमी
जब वह हँसता है तो मन ही मन हँसता है
बाहर से लगता है वह मुसकरा रहा है

उसने अपने से घटिया लोगों को मित्र बनाया है
और उन्हें पहले से भी घटिया होने का मंत्र बताया है

वे उसकी इज्ज़त करते हैं

उसको सब विख्यात जनों का कच्चा चिट्ठा मालूम है
उसे सुनता है पर निन्दा नहीं किसी की करता है
इससे सब निर्भय होकर रस लेते हैं

वे उसकी इज्ज़त करते हैं