Last modified on 16 मई 2010, at 23:57

विनती / मन्नन द्विवेदी गजपुरी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:57, 16 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मन्नन द्विवेदी गजपुरी |संग्रह=बाल विनोद / मन्नन…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

‘विनती सुन लो हे भगवान,
हम सब बालक हैं नादान।।१।।
विद्या बुद्धि नहीं है पास,
हमें बना लो अपना दास।।२।।
पैदा तुमने किया सभी को ,
रुपया पैसा दिया सभी को।।३।।
हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं,
पैरो पर हम पड़े हुए हैं।।४।।
बुरे काम से हमें बचाना,
खूब पढ़ाना खूब लिखाना।।५।।
बड़ा बड़ा पद पावैगे हम ,
मिहनत कर दिखलावैगे हम।।६।।
कितना भी बढ़ जावैगे हम,
तुमे नहीं बिसरावैगे हम।।७।।
हमें सहारा देते रहना,
खबर हमारी लेते रहना ।।८।।
लो फिर शीस नवाते हैं हम
विद्या पढ़ने जाते हैं हम।।९।।