Last modified on 20 मई 2010, at 23:31

नव-भामिनी / बेढब बनारसी

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 20 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बेढब बनारसी }} {{KKCatKavita}} <poem> 1. पोते 'पोमेड' मले मुख 'पौड…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


1.
पोते 'पोमेड' मले मुख 'पौडर' ऐनक आँख चढ़ी 'गजनैनी'
आननपै करके 'करचीफ' धरे, जनु जर्म बचावत जैनी
टेढ़ा करै मुख ऐसा बनाय के भोजपुरी मनो खात है खैनी
कूदती ये स्कूल चलै 'मृग-गामिनी' भामिनी 'मेढकबैनी'
 
नोट: जैनी = जैन धर्म मानने वाले

2.
यह भात सा गात है फूला हुआ, अथवा पकी रोटी तंदूर की है
जग जाता जहान सुने बरबैन, सुबानी मनो तमचूर की है
कच काले से बाल के हैं ये बढ़े, कि यह लंबी सी लूम लंगूर की है
मुख पे हैं मुहासे ये लाल घने मनो लीची मुजफ्फरपूर की है
 
नोट; जग जाता = जाग जाता
तमचूर = मुर्गा