[[नंदकिशोर आचार्य
सुथारों की बड़ी गुवाड़, बीकानेर 334 005 फ़ोन : 0151- 220 1045 / 07152-252 028
श्री नन्दकिशोर आचार्य का जन्म 31 अगस्त, 1945 को बीकानेर में जन्मे अनेक विधाओं में सृजनशील श्री आचार्य को मीरा पुरस्कार, बिहारी पुरस्कार, भुवलेश्वर पुरस्कार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी एवं भुवालका जनकल्याण ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया है। महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्री हिन्दी विश्वविद्याल, वर्धा के संस्कृति विद्यापीठ में अतिथि लेखक रहे हैं ।
अज्ञेय जी द्वारा सम्पादित चौथा सप्तक के कवि नन्दकिशोर आचार्य के जल है जहां, शब्द भूले हुए, वह एक समुद्र था, आती है जैसे मृत्यु, कविता में नहीं है जो, रेत राग तथा अन्य होते हुए काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं । रचना का सच, सर्जक का मन,अनुभव का भव, अज्ञेय की काव्य-तिर्तीर्ष, साहित्य का स्वभाव तथा साहित्य का अध्यात्म जैसी साहित्यालोचना की कृतियों के साथ-साथ आचार्य देहान्तर, पागलघर और गुलाम बादशाह जैस नाट्य-संग्रहों के लिये भी चर्चित रहे हैं । जापानी जेन कवि रियोकान के काव्यानुवाद सुनते हुए बारिश के अतिरिक्त आचार्य ने जोसेफ ब्रॉदस्की, ब्लादिमिर होलन, लोर्का तथा आधुनिक अरबी कविताओं का भी हिन्दी रूपान्तरण किया है । एम.एन. राय के न्यू ह्यूमनिज्म (नवमानवाद) तथा साइंस एण्ड फिलासफि (विज्ञान और दर्शन) का भी हिन्दी अनुवाद उन्होंने किया है । रचनात्मक लेखन के साथ-साथ्ा नन्दकिशोर आचार्य को अपने चिन्तनात्मक ग्रन्थों के लिए भी जाना जाता है । कल्चरल पॉलिटी ऑफ हिन्दूज और दि पॉलिटी इन शुक्रिनीतिसार (शोध), संस्कृति का व्याकरण, परम्परा और परिवर्तन(समाज- दर्शन), आधुनिक विचार और शिक्षा (शिक्ष-दर्शन), मानवाधिकार के तकाजे, संस्कृति की सामाजिकी तथा सत्याग्रह की संस्कृति के साथ गाँधी-चिन्तन पर केन्द्रित उन की पुस्तक सभ्यता का विकल्प ने हिन्दी बौद्धिक जगत का विशेष ध्यान आकर्षित किया है ।|नंदकिशोर आचार्य
श्री नन्दकिशोर आचार्य का जन्म 31 अगस्त, 1945 को बीकानेर में जन्मे अनेक विधाओं में सृजनशील श्री आचार्य को मीरा पुरस्कार, बिहारी पुरस्कार, भुवलेश्वर पुरस्कार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी एवं भुवालका जनकल्याण ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया है। महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्री हिन्दी विश्वविद्याल, वर्धा के संस्कृति विद्यापीठ में अतिथि लेखक रहे हैं ।
अज्ञेय जी द्वारा सम्पादित चौथा सप्तक के कवि नन्दकिशोर आचार्य के जल है जहां, शब्द भूले हुए, वह एक समुद्र था, आती है जैसे मृत्यु, कविता में नहीं है जो, रेत राग तथा अन्य होते हुए काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं । रचना का सच, सर्जक का मन,अनुभव का भव, अज्ञेय की काव्य-तिर्तीर्ष, साहित्य का स्वभाव तथा साहित्य का अध्यात्म जैसी साहित्यालोचना की कृतियों के साथ-साथ आचार्य देहान्तर, पागलघर और गुलाम बादशाह जैस नाट्य-संग्रहों के लिये भी चर्चित रहे हैं । जापानी जेन कवि रियोकान के काव्यानुवाद सुनते हुए बारिश के अतिरिक्त आचार्य ने जोसेफ ब्रॉदस्की, ब्लादिमिर होलन, लोर्का तथा आधुनिक अरबी कविताओं का भी हिन्दी रूपान्तरण किया है । एम.एन. राय के न्यू ह्यूमनिज्म (नवमानवाद) तथा साइंस एण्ड फिलासफि (विज्ञान और दर्शन) का भी हिन्दी अनुवाद उन्होंने किया है ।रचनात्मक लेखन के साथ-साथ्ा नन्दकिशोर आचार्य को अपने चिन्तनात्मक ग्रन्थों के लिए भी जाना जाता है । कल्चरल पॉलिटी ऑफ हिन्दूज और दि पॉलिटी इन शुक्रिनीतिसार (शोध), संस्कृति का व्याकरण, परम्परा और परिवर्तन(समाज- दर्शन), आधुनिक विचार और शिक्षा (शिक्ष-दर्शन), मानवाधिकार के तकाजे, संस्कृति की सामाजिकी तथा सत्याग्रह की संस्कृति के साथ गाँधी-चिन्तन पर केन्द्रित उन की पुस्तक सभ्यता का विकल्प ने हिन्दी बौद्धिक जगत का विशेष ध्यान आकर्षित किया है । की रचनाएँ]]