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बाढ़ / हरिवंशराय बच्चन

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बाढ़ आ गई है, बाढ़!

बाढ़ आ गई है, बाढ़!

वह सब नीचे बैठ गसा है
जो था गरू-भरू,
भारी-भरकम,
लोह-ठोस
टन-मन
वज़नदार!


और ऊपर-ऊपर उतरा रहे हैं

किरासिन की खालीद टिन,
डालडा के डिब्‍बे,
पोलवाले ढोल,
डाल-डलिए- सूप,
काठ-कबाड़-कतवार!

बाढ़ आ गई है, बाढ़!

बाढ़ आ गई है, बाढ़!