Last modified on 3 जून 2010, at 11:29

बाढ़ / हरिवंशराय बच्चन


बाढ़ आ गई है, बाढ़!

बाढ़ आ गई है, बाढ़!

वह सब नीचे बैठ गया है
जो था गरू-भरू,
भारी-भरकम,
लोह-ठोस
टन-मन
वज़नदार!


और ऊपर-ऊपर उतरा रहे हैं

किरासिन की खालीद टिन,
डालडा के डिब्‍बे,
पोलवाले ढोल,
डाल-डलिए- सूप,
काठ-कबाड़-कतवार!

बाढ़ आ गई है, बाढ़!

बाढ़ आ गई है, बाढ़!