मूर्तिकार मिट्टी को गूंथकर मूरत बनाता है बनाकर सुखाता है रंगों से सजाता है मूरत को सजाकर भगवान बनाता है मंदिर में लगाता है मूर्ति लगाकर बाहर जो आता है बाहर ही रह जाता है भगवान का निर्माता अछूत हो जाता है 1985