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बस गवैया / मुकेश मानस

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बस गवैया


चलती बस की खड़ी भीड़ में
देखो बच्चा चूमता है
चूमता है दोनों हाथ
चूमता शीशे की पट्टियां
सूखा गला साफ करता है
होठों पर जीभ फिराता है
वह शुरू करेगा अब कोई गीत

दिन भर वह गा सके मधुरतम
यात्रियों को लुभा सके उसकी आवाज़
निकलें गीत पेट से उसके
आओ बंधू दुआ करें
1991