हमारा समय
खिड़कियां खटखटाई जा रही हैं
हम नहीं सुनते
दरवाजे भड़भड़ाए जा रहे हैं
हम नहीं खुलते
लोग हर सिम्त मारे जा रहे हैं
हम नहीं उठते
इंसानियत का बरतन खाली धरा है
मरते हुए जीना
हमारे समय का
सबसे क्रूरतम मुहावरा है
1994
हमारा समय
खिड़कियां खटखटाई जा रही हैं
हम नहीं सुनते
दरवाजे भड़भड़ाए जा रहे हैं
हम नहीं खुलते
लोग हर सिम्त मारे जा रहे हैं
हम नहीं उठते
इंसानियत का बरतन खाली धरा है
मरते हुए जीना
हमारे समय का
सबसे क्रूरतम मुहावरा है
1994