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मुझे मालूम नहीं / विष्णु नागर

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मैंने चांद से पूछा
तुम चांद हो ?
उसने कहा-नहीं मालूम

लेकिन तुम्‍हें इतना तो मालूम होगा कि तुम गोल हो?
उसने जवाब दिया-नहीं मालूम

खैर इतना तो मालूम होगा
कि तुम ठंडे हो?
उसने कहा-नहीं मालूम

लेकिन यह तो तुम जानते होंगे
कि तुम्‍हारे उगने से पूरी धरती रोशन हो जाती है
उसने कहा-नहीं मालूम

मैंने चिढ़कर कहा कि फिर तुम्‍हें क्‍या मालूम
चांद ने कहा-
इतना मालूम है कि कुछ नहीं मालूम

लेकिन यह तुम्‍हें किसने बताया कि तुम्‍हें कुछ नहीं मालूम

चांद ने कहा यह भी आपने ही बताया
क्‍योंकि आपकी बातों से मुझे लगा कि आपको सबकुछ मालूम है.