Last modified on 6 जून 2010, at 12:44

किसी क्षण / मुकेश मानस

किसी क्षण


मर गई चाची
जैसे मरते हैं और लोग

मर जाएंगे वो सब
जिनके साथ
मैं आज खेलता हूँ
लड़ता-झगड़ता हूँ
जिन्हें खूब प्यार करता हूँ

एक दिन
मर जाऊंगा मैं भी
जैसे मर जाएंगे बाकी लोग
1985