Last modified on 6 जून 2010, at 13:08

अन्धेरा /मुकेश मानस

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:08, 6 जून 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अन्धेरा मुझे घेरता है
मैं भागता हूं

मैं भागता हूं
और भाग नहीं पाता हूं
अन्धेरे के पंजों में
घिर-घिर जाता हूं

अन्धेरे के सपने
मुझे ही क्यों आते हैं
मैं ही क्यों फंसता हूं
अन्धेरे के चंगुल में

जागने पर सुबह क्यों होती है?
सूरज क्यों निकलता है?
1995