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पशोपेश / मुकेश मानस



मेरी बेटी खिड़की पर खड़ी होगी
और मैं
इस रफ्तार में फंसा हूं

ये रफ्तार नहीं थमने की
मैं थमा हूं
और इस रफ्तार के ख़िलाफ़
ख़तरा मोल लेने से
मेरी जान जा सकती है

मगर मैं कब तक थमा रहूंगा
ये रफ्तार नहीं थमने की
और मेरी बेटी
खिड़की पर खड़ी होगी

रचनाकाल:1999